नई दिल्ली: हरियाणा के सोनीपत में आजकल जमकर कुश्ती का अभ्यास हो रहा है। देश के नामी पहलवान यहां एक-दूसरे पर अपने दांव आजमाते देखे जा रहे हैं। उन्हीं में है एक पहलवान हैं विनोद दहिया, जो दिखने में आम पहलवान जैसे ही हैं लेकिन उनकी कहानी एकदम अलग है।
बन गए ऑस्ट्रेलिया की उम्मीद
विनोद भारत में जन्मे, भारत में कुश्ती सीखी पर हालात कुछ ऐसे बदले कि उन्हें ओलिंपिक में कुश्ती का टिकट तो मिला पर भारत की ओर से नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया की ओर से। भारत में मौके कम थे, इसीलिए बेहतर भविष्य के लिए साल 2010 में विनोद ऑस्ट्रेलिया चले गए थे। वहां एक कुरियर कंपनी में उन्होंने नौकरी मिली। आज वे एक नाइट क्लब में बाउंसर हैं, लेकिन 9 घंटने नौकरी करने के बाद भी वे जिम जाते रहे और कुश्ती करते रहे। ऑस्ट्रेलियाई कुश्ती में उनका सिक्का चलने लगा और 10 से भी ज्यादा मेडल जीतकर अब रियो के लिए ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी उम्मीद बन गए हैं।
भारत की ओर से खेलने का सपना
विनोद का एक सपना आज भी उनके सीने में कहीं छिपा है। उनका कहना है, भारत की ओर से खेलने का सपना है, लेकिन अभी ऑस्ट्रेलिया के लिए जीतना है। कुछ ही दिन पहले उनकी मां का देहांत हुआ और उन्हें ऑस्ट्रेलियाई टीम के साथ अभ्यास छोड़ भारत आना पड़ा, लेकिन यहां भी उनका अभ्यास जारी है।
हरियाणा के खांडा गांव के हैं विनोद दहिया
हरियाणा का खांडा गांव अब अन्तरराष्ट्रीय नक्शे पर है और उसकी वजह है विनोद दहिया। वे रियो खेलों में 66 किलो Greco-Roman स्टाइल कुश्ती के लिए कोटा हासिल कर चुके हैं पर भारत नहीं ऑस्ट्रेलिया की ओर से। रियो में विनोद के सपने बड़े हैं और दो-दो देशों की दुआएं उनके साथ हैं जिसका वे पूरा फायदा उठाना चाहते हैं।.....this news is taken from NDTV INDIA....
बन गए ऑस्ट्रेलिया की उम्मीद
विनोद भारत में जन्मे, भारत में कुश्ती सीखी पर हालात कुछ ऐसे बदले कि उन्हें ओलिंपिक में कुश्ती का टिकट तो मिला पर भारत की ओर से नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया की ओर से। भारत में मौके कम थे, इसीलिए बेहतर भविष्य के लिए साल 2010 में विनोद ऑस्ट्रेलिया चले गए थे। वहां एक कुरियर कंपनी में उन्होंने नौकरी मिली। आज वे एक नाइट क्लब में बाउंसर हैं, लेकिन 9 घंटने नौकरी करने के बाद भी वे जिम जाते रहे और कुश्ती करते रहे। ऑस्ट्रेलियाई कुश्ती में उनका सिक्का चलने लगा और 10 से भी ज्यादा मेडल जीतकर अब रियो के लिए ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी उम्मीद बन गए हैं।
भारत की ओर से खेलने का सपना
विनोद का एक सपना आज भी उनके सीने में कहीं छिपा है। उनका कहना है, भारत की ओर से खेलने का सपना है, लेकिन अभी ऑस्ट्रेलिया के लिए जीतना है। कुछ ही दिन पहले उनकी मां का देहांत हुआ और उन्हें ऑस्ट्रेलियाई टीम के साथ अभ्यास छोड़ भारत आना पड़ा, लेकिन यहां भी उनका अभ्यास जारी है।
हरियाणा के खांडा गांव के हैं विनोद दहिया
हरियाणा का खांडा गांव अब अन्तरराष्ट्रीय नक्शे पर है और उसकी वजह है विनोद दहिया। वे रियो खेलों में 66 किलो Greco-Roman स्टाइल कुश्ती के लिए कोटा हासिल कर चुके हैं पर भारत नहीं ऑस्ट्रेलिया की ओर से। रियो में विनोद के सपने बड़े हैं और दो-दो देशों की दुआएं उनके साथ हैं जिसका वे पूरा फायदा उठाना चाहते हैं।.....this news is taken from NDTV INDIA....
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